Friday, August 29, 2008

गुरूजी कृपा


टीम इंडिया और विजय मंत्र
निदान: स्‍वर सिद्धांत (सुपरनेचर सैंस)
आधार- सूर्य चन्‍द्र व पंचतत्‍व (प्रकृति)
उद्देश्‍य- ताकि भारतीय, परछाईयों के पीछे न भागकर जीवन संबंधी, अनछुए पहलुओं सहित-सभी तरह के खेलों में निश्चित ही ‘’विजयी’’ हो सकें।
विविधा- क्‍या यह सूचना भारतीय तक पहुंचेगी ?
क्‍या स्‍वर सिद्धांत के रहस्‍यों को मनुष्‍य कभी समझ पायेगा? क्‍योंकि सभी कुछ अंधविश्‍वास नहीं होता।
प्रिय बन्‍धुओं- दुनिया में कोई ‘मंत्र’ नहीं लेकिन प्रकृति में कुछ तो है—जिससे पर ले जा सकता है।
अत: विजयपाना अब अधिक दूर नहीं
बन्‍धु, इस जीव श्रृष्टि में एक मात्र ऐसा अनभुत ‘सुपर सिद्धांत’ विद्यमान है, जिसके जानने समझने कृमश- जीत सुनिश्चित हो सकती है और वह है’---- ‘स्‍वर सिद्धांत।
स्‍वर सिद्धांत खिलाडियों के मन-मस्ष्तिक को एकाग्र कर चेतना में ‘स्‍टीक टाइमिंग’ की वो आग भरता है कि विरोधी टीम की मनोदशा पशोपेश में पड जायेगी कि ये क्‍या हुआ?
’स्‍वर सिद्धांत के रहस्‍य’
जबकि स्‍वर सिद्धांत मनुष्‍य के जन्‍म से पूर्व ही, जीवन रहने-वजूद को बचाये रखने का, एक मात्र अपूर्व कौशल उपहार में मिला है। जिसकी जानकारियों के बिना युगों से मनुष्‍य के जीवन का कोई अर्थ नहीं ----? अत: जीवन में रंग भरने हेतु क्‍यों न स्‍वर-सिद्धांत के रहस्‍यों को समझा जाये।
हमारी नासिका (नाक) पर दाहिने व बाई ओर दो छिद्र बने हुए हैं जिनमें प्राण क्रियाएं चला करती हैं और मनस्थिति में भी बदलाव होता रहता है। अर्थात दाहिने छिद्र को सूर्यस्‍वर कहते हैं और बाये छिद्र को चन्‍द्रमा स्‍वर कहते है और चन्‍द्रमा स्‍वर पर चन्‍द्रमा का नियंत्रण का नियंत्रण होता है।
‘चन्‍द्रमा स्‍वर के चलते मनोदशा’
प्रकृति ने मनुष्‍यों के शरीर का रक्‍तचाप, तापक्रम सामान्‍य रखने एवं मनस्थिति को शीतल व शांत रखने हेतु चन्‍द्रमा स्‍वर की रचना की है। चन्‍द्रमा स्‍वर दिन के समय, आक्रोश से बचाकर, मस्तिष्‍क को शांत तो रखता है, लेकिन इस स्‍वर के चलते पुरूषों की मनस्थिति मौजूदा विषयों अथवा खेलों पर एकाग्र न रहकर कहीं ओर केद्रित रहती है। इसी वजह से खेलों, क्रिकेट आदि में ‘टीम इंडिया’ को हार का सामना करना पड़ता है।
उक्‍त बताई गई इस प्राकृतिक प्रक्रिया से एक दम उलट---- मनस्थिति के रहस्‍यों को भी पूरी तरह समझ ले, क्‍योंकि इसी में टीम इंडिया की जीत का राज रहस्‍य बनकर छुपा है।
सूर्य स्‍वर के चलते मनोदशा
जो व्‍यक्ति अपनी नासिका के स्‍वर सिद्धांत के रहस्‍यों को नहीं जानते तो वो अपने जीवन को भाग्‍य व दुर्भाग्‍य जैसी अविकसित मानसिकताओं में बांटकर, अशांति को दावत देकर, अपने अस्तित्‍व को कोसते रहते है और अक्‍सर इस दुविधा में फंसे रहते हैं कि, क्‍या--- आज मैं कामयाब रहूंगा ? क्‍या आज – मैं अमुक दायित्‍व पर खरा उतरूगा ? या क्‍या – आज मैं टीम इंडिया को जीत दिला सकूगा ? इत्‍यादि ये सब अंधी धारणाएं एकाग्रता का सुबूत नहीं बल्कि मानसिक टयूनिंग बिगड़ी होने के लक्षण है?
अत: खिलाडियों को सभी खेलों में विजय प्राप्‍त करने के लिए अपनी-अपनी नासिका के स्‍वरों का ज्ञान अनुभव करते रहना नितान्‍तावश्‍यक है क्‍योंकि ‘स्‍वर ज्ञान’ से यह स्‍पष्‍ट सिद्ध हो जाता है कि खेलते समय चन्‍द्रमा स्‍वर के चलते निश्‍चत ही हार होती है, लेकिन स्‍वर क्रिया की इस स्थिति को बदलने के लिए क्‍या किया जाये? ताकि विरोधीटीम के होसले पस्‍त किये जा सके?
यदि किसी खिलाडी की नासिका का चन्‍द्रस्‍वर चल रहा है तो या तो वो 0 रन पर आउट होगा या फिर 5-10 रन बनाकर पवैलियन पहुंच जायेगा जिससे खिलाडियों को कैरियर पर बहुत बुरा असर पडता रहता देखा जा सकता है।
चन्‍द्रमा स्‍वर को बदलने की कुछ मुद्राएं
अत: अब जो हुआ सो हुआ, अब भविष्‍य के खेलों के वास्‍ते खिलाडियों को अपनी’2 नासिका के सुरो पर ध्‍यान रखना व उनका साक्षी बने रहना जरूरी है और यदि किसी का चन्‍द्रमा स्‍वर (लेफ्ट) चल रहा है तो विभिन्‍न मुद्राओं में बैठने लेटने व खड़े रहने पर अपने बाये स्‍वर को बदल कर दाहिने स्‍वर अर्थात सूर्य स्‍वर को चलाकर निश्‍चित ही विजय प्राप्‍त की जा सकती है।
1 यदि आप ड्रैसिंग रूप में बैठे है तो अपने बाये हाथ पर शरीर का पूरा भाग भार डालकर कुछ देर बैठे रहे तो कुछ ही क्षणों में सूर्य स्‍वर चलने लगेगा।
2- यदि आप ड्रेसिंग रूम लेट रहे हैं तो बाई और करवट बदल कर लेटे रहे तो सूर्य स्‍वर चलने लगेगा।
3- यदि आप ड्रैसिंग रूप में खड़े है तो अपने बाये पाव की ओर पूरा भार डाल कर खडे रहेंगे तो कुछ ही क्षणों में सूर्य स्‍वर चलने लगेगा।
4- यदि सूर्य स्‍वर को अधिक देर तक चलाये रखना है तो अपने दाहिने नासा छिद्र में उंगली के द्वारा सरसों का तेल या देशी घी लगाना चाहिए।
5- यदि आप प्‍लेग्राउड में प्रवेश कर रहे हैं तो अपने दाहिने पांव को सर्वप्रथम वाउंडरी के अंदर रखकर ग्राउंड के प्रवेश करें—इससे विरोधी टीम की मनस्थिली पर आक्रषण होता है और वो कन्‍फूजन में पड़ जाते है।
इस तरह सूर्य स्‍वर की इस प्राकृतिक प्रक्रिया के द्वारा विरोधी टीम सस्‍ते में पवैलियन की राह पकडी है क्‍योंकि सूर्य स्‍वर के द्वारा भारतीय टीम के मन मस्ष्तिक द्वारा शरीर में सौर ऊर्जा की वो आग भर जाती है जिससे एकाग्रता प्रचुर मात्रा में होने की वजह से चेतना क्षणों में खेल की बारीकियों का निरक्षण कर टाइमिंग की स्‍टीक सोट मारती है और विरोधी टीम पशोपेश में पड़ जाती है कि ये क्‍या हुआ अर्थात उन्‍हें संभलने का अवसर ही नहीं मिलता--- और टीम इंडिया विजयी होती है।
इसलिए टीम इंडिया को प्रत्‍येक खेलों में विजयी होने हेतु अपनी स्‍वर क्रियाओं का ज्ञान अनुभव होना जरूरी है क्‍योंकि केवल स्‍वर ज्ञान ही आत्‍मज्ञान है जिससे मनुष्‍य मुकम्‍मल हो जाता है। इसे ही सुपर सिद्धांत अथवा स्‍वर सिद्धांत कहते है।
अत: स्‍वर सिद्धांत में जीवन विज्ञान संबंधी ओर से अनछुए पहलू रहस्‍य बन कर छुपे है जिन्‍हें जानने समझने व परखने के लिए प्रत्‍येक भारतीय के पास केवल ‘नाक’ का होना जरूरी है और नाक को बचाये रखने के लिए नासिका में चल रही स्‍वर क्रियाओं का ज्ञान तो होना ही चाहिए, अन्‍यथा नाक का कटते रहना निश्‍चत है?
इसलिए स्‍वर सिद्धांत –जीवन और विनाश के बीच एकमात्र आखरी रक्षा कड़ी है।
यही टीम इंडिया की जीत का मंत्र है- विचार करे’---- विचार करें
आलेख बलराज शर्मा जांगिड़

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