Tuesday, October 14, 2008

मूंगफली

मूंगफली
मूंगफली म.प्र. की एक प्रमुख तिलहनी फसल है। राज्‍य में इसकी उत्‍पादकता स्थिर नहीं है। इसका प्रमुख कारण वर्षा की अनिश्चित्‍ता, सूखा पड़ना अथवा कभी- कभी लगातार वर्षा होना तथा किसानों द्वारा इस फसल की उन्‍नत कृषि कार्यमाला को न अपनाना आदि है।
भूमि का चुनाव
पानी का अच्‍छा निकास, हल्‍की से मध्‍यम रेतीली कछारी या दुमट भूमि उपयुक्‍त है।
भूमि की तैयारी
तीन साल के अन्‍तराल में एक बार गहरी जुताई करें इसके बाद दो बार देशी हल या कल्‍टीवेटर चलायें एवं बखर चलाकर पाटा लगाना चाहिए।
बीज दर
100 – 120 किलोग्राम/ हेक्‍टर दाने बोने से 3.33 लाख के लगभग पौध संख्‍या प्राप्‍त होती है।
उन्‍नत जातियॉं
किस्‍म
पकने की अवधि
फलियॉं कि.ग्रा./ हे.
तेल प्रतिशत
अन्‍य विवरण
फूलो प्रगति (जे.एल. – 24)
95 -100
1500-2400
50.8
अगेती उन्‍नत जाति है तथा पूरे देश में इसे सफलतापूर्वक लगाया जा रहा है। इसे ग्रीष्‍म ऋतु में नहीं लगाना चाहिए। यह किस्‍म खरीफ एवं ग्रीष्‍म के लिये उपयुक्‍त है। यह मध्‍यम से भारी मिटटी के लिये उपयुक्‍त है। यह कालर राट रोगी रोधी किस्‍म है मध्‍यम से भारी मिटटी के लिये उपयुक्‍त है। इसको खरीफ एवं गर्मी दोनों मौसमों में उगाया जा सकता है। 3 -4 दाने वाली लम्‍बी फली इसमें रूट राट (जड़सडन) का प्रभाव कम पाया गया है। दोनों ही मौसम में उगाया जा सकता है। खरीफ मौसम के लिये अनुसंशित ।
जूनागढ़ – 11 (एस.बी. -11)
107-150
1000-1500
49.5
ए.के. 12 – 24
105- 110
1000- 1500
48.5
गंगापुरी
95-100
1500-2000
48
ज्‍योति
105-110
1500-2000
53.3
जे.जी.एन -3
100 – 105
1500- 2000
50

बीजोपचार
3 ग्राम थीरम या 2 ग्राम कार्बनडेजिम दवा/ किलो ग्राम बीज की दर से बीजोपचार करें। पौधों के सूखने की समस्‍या वाले क्षेत्र में 2 ग्राम थीरम + 1 ग्राम कार्बेन्‍डाजिम / किलो ग्राम बीज मिलाकर उपचारित करें या जैविक उपचार ट्रायकोडर्मा 4 ग्राम चूर्ण / किलो ग्राम बीज की दर से उपयोग करें। इसके पश्‍चात 10 ग्राम / किलो ग्राम बीज के मान से रायजोबियम कल्‍चर (मूंगफली) से भी उपचार करें।
बोने का समय
वर्षा प्रारंभ होने पर जून के मध्‍य से लेकर जुलाई के प्रथम सप्‍ताह तक बोनी करना चाहिए।
बोने का तरीका
बोनी कतारों में सरता दुफन या तिफन से लगभग 4 -6 से.मी. गहराई पर करना चाहिए। कतार से कतार की दूरी 30 से.मी. तथा पौधे की दूरी 8 – 10 से.मी. रखना चाहिए।
खाद एवं उर्वरक
भूमि की तैयारी के समय गोबर की खाद 5 -10 टन/ हेक्‍टर प्रयोग करें। उर्वरक के रूप में 20 किलोग्राम नत्रजन , 40 – 80 किलोग्राम स्‍फुर एवं 20 किलोग्राम पोटाश/ हेक्‍टर देना चाहिए। यदि खेत में गोबर की खाद तथा पी.एस.बी. का प्रयोग किया जाता है तो स्‍फुर की मात्रा 80 किलो ग्राम/ हेक्‍टर की जगह मात्र 40 किलो ग्राम / हेक्‍टर ही पर्याप्‍त है। खाद की पूरी मात्रा आधार खाद के रूप में प्रयोग करें। मूंगफली फसल में गंधक का विशेष महत्‍व है। इसलिए 25 किलो ग्राम/ हेक्‍टेयर के मान से गंधक अवश्‍य दिया जाना चाहिए। यदि यूरिया की जगह अमोनिया सल्‍फेट तथा फास्‍फेट के रूप में सिंगल सुपर फास्‍फेट का प्रयोग किया जाता है तो गंधक पर्याप्‍त मात्रा में मिल जाता है। अन्‍यथा 2 क्विंटल / हेक्‍टर की दर से जिप्‍सम या पाइराइटस का उपयोग आखिरी बखरनी के साथ करें। साथ ही 25 किलो ग्राम/ हेक्‍टर के मान से तीन साल के अन्‍तर पर जिंक सल्‍फेट का प्रयोग अवश्‍य करें।
फसल चक्र:
1 . मूंगफली (खरीफ) – गेहूं (रबी)
2 . मूंगफली (खरीफ) – मक्‍का (खरीफ)
3 . मूंगफली (खरीफ) – चना (रबी)
4 . मूंगफली ग्रीष्‍म कपास (खरीफ)
5 . मूंगफली ग्रीष्‍म मक्‍का / ज्‍वार / कपास
अंतरवर्तीय फसलें
अन्‍तवर्तीय फसल के रूप में मक्‍का, ज्‍वार, सोयाबीन, मूंग, उड़द, तुअर, सूर्यमुखी आदि फसलों को 4:2, 2:1, 8:2, 3:1, 6:3, 9:3, अनुपात में आवश्‍यकतानुसार लिया जा सकता है।
सिचाई
सिंचाई की सुविधा होने पर अवर्षा से उत्‍पन्‍न सूखे की अवस्‍था में पहला पानी 50- 55 दिन में तथा दूसरा पानी 70 – 75 दिन में दिया जाना चाहिए।
निंदाई – गुडाई
फसल बोने के 15 -20, 25 -30 तथा 40 -45 दिन की अवस्‍था में डोरा या कोल्‍पा चलावें जिससे समय – समय पर नींदा नियंत्रण किया जा सके। नींदानाशक दवाओं के उपयोग से भी नींदा नियंत्रण किया जा सकता है।
खरपतवारनाशी रसायनों की मात्रा एवं प्रयोग विधि
खरपतवारनाशी रसायन
मात्रा सक्रिय तत्‍व, लीटर / हेक्‍टेयर
उपयोग विधि / समय
पेंडीमिथेलिन
0.75 – 1.0
बुवाई बाद तुरंत फसल तथा खरपतवारों के उगने से पूर्व
फलुक्‍लोरेलीन
0.75 – 1.0
बुवाई से पूर्व जमीन में
एलाक्‍लोर
1.0 – 1.5
बुवाई के बाद परंतु अंकुरण से पूर्व

नोट: आवश्‍यकता पड़ने पर ही खरपतवारनाशी दवाओं का प्रयोग पूर्ण सावधानी अपनाते हुये करें।
पौध संरक्षण
(अ) कीडे
(अ)बोडला कीट (ब्‍हाइट ग्रब)
(अ) मई – जून के महीने में खेत की दो बार जुताई करना चाहिए।
(अ)(ब) अगेती बुआई ‘’10 -20 जून के बीच ‘’ करना चाहिए।
(अ)(स) मिटटी में फोरेट 10 जी या कारबोफयूरान 3 जी 25 किलो ग्राम / हेक्‍टेयर डालना चाहिए।
(अ)(द) बीज को फफूंदनाशक उपचार से पहले क्‍लोरपायरीफास 12.5 मि.ली / किलो ग्राम बीज को उपचार कर छाया में सुखकर बोनी चाहिए।
(अ)कामलिया कीट
मिथाइल पेराथियान 2 प्रतिशत चूर्ण का 25 से 30 किलो ग्राम / हे. प्रारंभिक अवस्‍था में भुरकाव या पैराथियान 50 ईसी का 700 से 750 मिली. / हें के मान से छिड़काव करें।
महों, थ्रिप्‍स एवं सफेद मक्‍खी
इनके नियंत्रण लिए मोनोक्रोटोफॉस 36 ईसी का 550 मि.ली. / हे. या डाईमिथिएट का 30 ईसी का 500 मि.ली / हे. 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रयोग करें।
सूरंग कीट
क्‍यूनालफास 25 ई.सी का 1000 मि.ली या मोनोक्रोटोफॉस 36 एस.एल. 600 मि.ली / हे. का छिड़काव करें।
चूहा एवं गिलहरी
यह भी मूंगफली को नुकसान करते है अत: इनके नियंत्रण पर ध्‍यान दें।
(ब) रोग
टिक्‍का / पर्ण धब्‍बा
बोने के 4-5 सप्‍ताह से प्रारंभ कर 2-3 सप्‍ताह के अन्‍तर से दो-तीन बार कार्बेन्‍डाजिम 0.05 प्रतिशत या डायथेन एम – 45 का 0.2 प्रतिशत का छिड़काव करना चाहिए।
कालर सडन / शुष्‍क जड़ सड़न
बीज को 5 ग्राम थाइरम अथवा 3 ग्राम डाइथेन एम- 45 या 1 ग्राम कार्बेन्‍डाजिम प्रति किलो ग्राम बीज दर से उपचार करना चाहिए।
फसल कटाई
जैसे ही फसल पीली पड़ने लगे तथा प्रति पौधा 70- 80 प्रतिशत फली पक जावें उस समय पौधों को उखाड़ लेना चाहिए। फलियों को धूप में इतना सूखाना चाहिए कि नमी 8-10 प्रतिशत रह जाये तभी बोरों में रखकर भण्‍डारण नमी रहित जगह पर करें। बोरियों रखने के बाद उन पर मेलाथियान दवा का छिड़काव करना चाहिए।
उपज
समयानुकूल पर्याप्‍त वर्षा होने पर खरीफ में मूंगफली की उपज लगभग 15 से 20 क्विंटल / हे. तक ली जा सकती हैं।

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