पपीता
प्रश्न – पपीते के पेड़ से छाल पीला होकर गिरने, लड़ गलने और पत्तियों के सूखने से पौधे मर जाते हैं। नियंत्रण बनायें ?
उत्तर – जल निकास में सुधर करें और ग्रसित पौधों को तुरन्त उखाड़कर फैंक दें। पौधों पर एक प्रतिशत र्बोडों मिश्रण या कॉपर आक्सीक्लोराइड को 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें या करजेट एम-8 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
प्रश्न – पपीते की नर्सरी में पौधों के गलकर मरने से बचाव ?
उत्तर- बीज बोने से पहले बाविस्टीन 2 से 3 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करें। तथा सीड बेड को 2.5 प्रतिशत फोरमल्डिहाइड घोल से उपचारित करें। उत्तम जल निकास रखें या 0.1 प्रतिशत बाविस्टीन के घोल से सिंचाई करें
प्रश्न- पपीते के पत्तों की शिराओं में टेडे – मेढ़े भूरे रंग के दाग का नियंत्रण ?
उत्तर – छंटाई के बाद प्रभावित भागों को नष्ट करें, कॉपर आक्सीक्लोराइड (0.3 प्रतिशत) के घोल का छिड़काव करें एवं पत्ते निकलने पर 0.1 प्रतिशत बाविस्टिन का छिड़काव करें। वर्षा ऋतु में कार्बोन्डाजिम (0.1 प्रतिशत) का छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर आवश्यक है।
प्रश्न – प्लास्टिक की थैलियों में पपीते के बीज को कैसे उगाये ?
उत्तर – इसके लिए 200 गेज और 20 x 15 से.मी. आकार की थैलियों की जरूरत होती है। जिनके नीचे और किनारों में छेद कर देते हैं तथा 1:1:1 पत्ती की खाद, गोबर और मिट्टी का मिश्रण बनाकर थैलियों में भर देते हैं। प्रत्येक थैली में दो या तीन बीज बोते हैं। पौधों की उचित ऊंचाई के होने पर इनकों खेत में प्रतिरोपण कर देते हैं। प्रतिरोपण करते समय थैली का नीचे का भाग फाड़ देना चाहिए।
प्रश्न – पपीते में उस रोग का नियंत्रण जिससे फल में छिद्र हो जाता है एवं दूध की तरह पदार्थ निकलता है जिससे पपीते छोटे रह जाते हैं।
उत्तर – इसके नियंत्रण के लिए मिथाइल पैराथियान 500 मिली. व डाइथेन एम- 45 दवा की 500 ग्राम प्रति 250 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
प्रश्न – पपीते के फलों का सूख कर गिरने का नियंत्रण ?
उत्तर – फूल आने के समय मैटाक्सल दवा एक टंकी में 15 से 20 ग्राम डालकर और मैन्कोजेब 30 – 35 ग्राम दवा का छिड़काव करें व उस पानी को जड़ों में डालें। इस प्रक्रिया को 2 से 3 बार 10 से 15 के अंतराल पर दोहरायें।
प्रश्न – पपीते के फलों का पीला होकर सड़ने से रोकथाम ?
उत्तर – पपीते को तभी तोड़े जब वे हरे या हल्के पीले रंग के हों एवं पूरे आकार में आ चुके हो पौधे के थमले के आस-पास यह ध्यान रखें कि पानी 24 घण्टे से ऊपर न खड़ा रहे जिससे बीमारी लगने की संभावना रहती है।
प्रश्न – पपीते के पौधों में फूल लगते हैं परंतु फल नहीं लगते। उपाय बतायें ?
उत्तर – पपीते में 3 प्रकार के पौधे होते हैं एक जिसमें नर फूल होते हैं दूसरा जिसमें मादा फूल होते हैं और तीसरे नर मादा दोनो फूल होते हैं। जिन पौधों में फूल लग रहे हैं किन्तु फल नहीं लग रहे वे नर पौधे हो सकते हैं। उन फौधों को निकाल दें ओर नर मादा फूल वाली किस्मों का चयन करें। 10 मादा पौधों में 1 नर पौधा आवश्यक होता है।
प्रश्न- पपीते के पौधों में फलों का थोड़ा बड़ा होकर सूख कर एवं पीले होकर गिर जाने पर नियंत्रण ?
उत्तर – इस रोग के दो कारण हो सकते हैं पहला फफूंद रोग जिससे फलों में काले रंग के धब्बे आकर फल गिर जाते हैं। इसकी रोकथाम के लिए एक प्रतिशत करजेट एम-8 की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में छिड़काव करें एवं पानी की कमी के कारण भी फल गिर जाते हैं। गर्मियों में हप्ते में एक बार व सर्दियों में 15 दिन में एक बार पानी अवश्य दें।
प्रश्न – पपीते में रिंग स्पौट वाइरस की रोकथाम ?
उत्तर – पौधों को उखाड़ कर जला दें और डाइमिथोएट 0.1 प्रतिशत नामक रसायन का छिड़काव करें।
प्रश्न – पपीते के पेड़ से छाल पीला होकर गिरने, लड़ गलने और पत्तियों के सूखने से पौधे मर जाते हैं। नियंत्रण बनायें ?
उत्तर – जल निकास में सुधर करें और ग्रसित पौधों को तुरन्त उखाड़कर फैंक दें। पौधों पर एक प्रतिशत र्बोडों मिश्रण या कॉपर आक्सीक्लोराइड को 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें या करजेट एम-8 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
प्रश्न – पपीते की नर्सरी में पौधों के गलकर मरने से बचाव ?
उत्तर- बीज बोने से पहले बाविस्टीन 2 से 3 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करें। तथा सीड बेड को 2.5 प्रतिशत फोरमल्डिहाइड घोल से उपचारित करें। उत्तम जल निकास रखें या 0.1 प्रतिशत बाविस्टीन के घोल से सिंचाई करें
प्रश्न- पपीते के पत्तों की शिराओं में टेडे – मेढ़े भूरे रंग के दाग का नियंत्रण ?
उत्तर – छंटाई के बाद प्रभावित भागों को नष्ट करें, कॉपर आक्सीक्लोराइड (0.3 प्रतिशत) के घोल का छिड़काव करें एवं पत्ते निकलने पर 0.1 प्रतिशत बाविस्टिन का छिड़काव करें। वर्षा ऋतु में कार्बोन्डाजिम (0.1 प्रतिशत) का छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर आवश्यक है।
प्रश्न – प्लास्टिक की थैलियों में पपीते के बीज को कैसे उगाये ?
उत्तर – इसके लिए 200 गेज और 20 x 15 से.मी. आकार की थैलियों की जरूरत होती है। जिनके नीचे और किनारों में छेद कर देते हैं तथा 1:1:1 पत्ती की खाद, गोबर और मिट्टी का मिश्रण बनाकर थैलियों में भर देते हैं। प्रत्येक थैली में दो या तीन बीज बोते हैं। पौधों की उचित ऊंचाई के होने पर इनकों खेत में प्रतिरोपण कर देते हैं। प्रतिरोपण करते समय थैली का नीचे का भाग फाड़ देना चाहिए।
प्रश्न – पपीते में उस रोग का नियंत्रण जिससे फल में छिद्र हो जाता है एवं दूध की तरह पदार्थ निकलता है जिससे पपीते छोटे रह जाते हैं।
उत्तर – इसके नियंत्रण के लिए मिथाइल पैराथियान 500 मिली. व डाइथेन एम- 45 दवा की 500 ग्राम प्रति 250 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
प्रश्न – पपीते के फलों का सूख कर गिरने का नियंत्रण ?
उत्तर – फूल आने के समय मैटाक्सल दवा एक टंकी में 15 से 20 ग्राम डालकर और मैन्कोजेब 30 – 35 ग्राम दवा का छिड़काव करें व उस पानी को जड़ों में डालें। इस प्रक्रिया को 2 से 3 बार 10 से 15 के अंतराल पर दोहरायें।
प्रश्न – पपीते के फलों का पीला होकर सड़ने से रोकथाम ?
उत्तर – पपीते को तभी तोड़े जब वे हरे या हल्के पीले रंग के हों एवं पूरे आकार में आ चुके हो पौधे के थमले के आस-पास यह ध्यान रखें कि पानी 24 घण्टे से ऊपर न खड़ा रहे जिससे बीमारी लगने की संभावना रहती है।
प्रश्न – पपीते के पौधों में फूल लगते हैं परंतु फल नहीं लगते। उपाय बतायें ?
उत्तर – पपीते में 3 प्रकार के पौधे होते हैं एक जिसमें नर फूल होते हैं दूसरा जिसमें मादा फूल होते हैं और तीसरे नर मादा दोनो फूल होते हैं। जिन पौधों में फूल लग रहे हैं किन्तु फल नहीं लग रहे वे नर पौधे हो सकते हैं। उन फौधों को निकाल दें ओर नर मादा फूल वाली किस्मों का चयन करें। 10 मादा पौधों में 1 नर पौधा आवश्यक होता है।
प्रश्न- पपीते के पौधों में फलों का थोड़ा बड़ा होकर सूख कर एवं पीले होकर गिर जाने पर नियंत्रण ?
उत्तर – इस रोग के दो कारण हो सकते हैं पहला फफूंद रोग जिससे फलों में काले रंग के धब्बे आकर फल गिर जाते हैं। इसकी रोकथाम के लिए एक प्रतिशत करजेट एम-8 की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में छिड़काव करें एवं पानी की कमी के कारण भी फल गिर जाते हैं। गर्मियों में हप्ते में एक बार व सर्दियों में 15 दिन में एक बार पानी अवश्य दें।
प्रश्न – पपीते में रिंग स्पौट वाइरस की रोकथाम ?
उत्तर – पौधों को उखाड़ कर जला दें और डाइमिथोएट 0.1 प्रतिशत नामक रसायन का छिड़काव करें।
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